खुदगर्जी
खुदगर्जी
1 min
265
सबके अपने अपने ढंग से
सोचने का तरीका है,
मगर विश्वास मानिए
सबसे बेहतर मेरा सलीका है।
बस! बड़े प्यार मक्खन लगाइए
अपना काम निकालने के लिए
यदि जरूरत पड़े तो
कदमों में बिछ जाइये
बस जरा अपने शातिर दिमाग पर
जरा अंकुश रखिए।
जब तक आपका उल्लू
सीधा न हो जाय तब तक
हद से ज्यादा सीधे, भोले बने रहिए।
जैसे ही काम बन जाय
फिर तो आप सिकंदर हो,
ठोकर मारकर चलते बनिए,
अगले शिकार की तलाश करते रहिए
खुदगर्जी का खेल खेलते रहिए
अगले ओलंपिक टिकट का
जुगाड़ अभी से करते रहिए।