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Hritik Raushan

Abstract

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Hritik Raushan

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शतंरज

शतंरज

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है यह हम सभी की कहानी..

नाम है शतरंज, पर्याय है संभावना।


हाथी, घोड़े, ऊंट,बादशाह का है

बोलबाला राज्य में

और हर तरफ है दबदबा

और मान वजीर का प्यादा, 


इसपे पूछता है छोटा ही क्यूं मैं रहूं ?

जहां सब हैं शक्तिशाली वहां एक ही क्यूं चलूं ?

बखूबी समझता है शतरंज प्यादे की इस उलझन को,

कहता प्यादे से कि तू सर्वशक्तिमान है


तू है वो जो पढ़ सके दुश्मन की चाल 

मार सके जो शत्रु पक्ष

और झेल सके जो पहला वार।


मत तोड़ खुद को जब भी किस्मत ने अकेला छोड़ा

तू भी वजीर बन जाएगा अगर धैर्य रखो थोड़ा।

तू एक भले चलता है,पर चलता है तू सीध में

एक अहम हिस्सा बनकर उभरेगा तू जीत में


उसकी बातें सुनकर प्यादा चलता है सीध में

विश्वास है इतना कि लड़ जाएगा भीड़ से

वो एक फिर से चलता है,चलता है वो सीध में

और सीमाओं को लांघकर,वो बदलता है वजीर में।


एक प्यादे की वजीर बनने की है संभावना

नाम है शतरंज ,पर्याय है संभावना।

है यह हम सभी की कहानी,

नाम है ज़िन्दगी, पर्याय है संभावना।


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