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Abhilasha Mishra

Abstract

3  

Abhilasha Mishra

Abstract

अब और सहन नहीं होता

अब और सहन नहीं होता

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यूँ चुप-चुप-सा  रहना अब और

सहन नहीं होता 

यूँ दब-दब कर रहना

अब और सहन नहीं होता 


यूँ औरतों का प्रताड़ित होना 

अब और सहन नहीं होता 

यूँ  सबका ताना अब

और सहन नहीं होता 


कब तक रहेगा यही मुखौटा 

इस समाज के चेेहरे पर

अब और सहन नहीं होता 

अब और सहन नहीं होता। 


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