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avantika

Abstract

4.5  

avantika

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अंत में शुरूआत है

अंत में शुरूआत है

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था घर किसी का, किसी का आशियां था

किसी के सपनो का गुलिस्तां था


किसी के जीवन भर के मेहनत का सिला था

हजारों यादों का किला था

जो आज टूट कर मिट्टी में मिला है


कल फिर नयीं इमारतें बनेंगी

नये सपने नयी मुस्कान जुड़ेंगी


ये मिट्टी ये धूल फिर खुशियों का महल होगा

कल नया दिन नया पहल होगा


जैसे अस्पताल में एक मरीज़ होता है

किसी का पिता किसी का करीब होता है

मरने के बाद लेकिन वो सिर्फ एक शरीर होता है


फिर टूटते हैं सपने, उम्मीदें हारतीं हैं

रोते बिलखते हैं लोग, चीखें पुकारती हैं


उसी अस्पताल के

दूसरे कोने में

जन्म होता है एक शिशु का

जगती है फिर उम्मीदें

हंसी फिर गुनगुनाती है।



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