अनकहे रिश्ते
अनकहे रिश्ते
जीवन में बने कुछ अनकहे रिश्ते,
अपने से लगते, जैसे हो सच्चे।
रक्त की बूदें न उनमें है मेरा,
जीवन भर ये न होते हैं कच्चे।।
दिन प्रतिदिन ये अनकहे रिश्ते,
बन के मजबूत इक छाप हैं छोड़ते।
अनिवार्य अंग वह हो जाते हमारे,
ये अनकहे रिश्ते, न कभी हैं टूटते।।
ऐसे रिश्तों में स्वार्थ की न होती जमीं,
प्रगाढ़ता में न होती कभी भी कमी।
अमीरी गरीबी की न इसमें हो खाई,
ऐसे रिश्तों में होती फूलों सी नमी।।
ऐसे रिश्तों में उम्र का दायरा सिमटता,
जीवन में बहुत सीख भी मिलता।
अनकहे रिश्तों में जब गहराई बढ़े,
प्यार का एहसास भी दीखता।।
इन रिश्तों में हम सब कुछ लुटाते,
अनकहे रिश्तों में बहुत कुछ हैं सहते।
एक दूजे के हम भावना को समझे,
आँखों से ही बहुत कुछ हैं कहते।।
अनकहे रिश्तों में न होता दिखावा,
कभी ऐसे रिश्ते हो जाते फ़रिश्ते।
जिंदगी को देते हैं कितना सुकून,
ऐसे रिश्ते अधिकतर न होते हैं सस्ते।।