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VIVEK ROUSHAN

Abstract

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VIVEK ROUSHAN

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अंदाज़ हमसे पूछिए

अंदाज़ हमसे पूछिए

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इस बदलती दुनियाँ का अंदाज़ हमसे पूछिए

कौन है  मेरा  सच्चा हमराज़ हमसे पूछिए


इश्क़ के अंजाम के किस्से सुनाए नहीं जाते

था कैसा वो इश्क़ का आगाज़ हमसे पूछिए


ये बात-बात पे हम जो अक्सर लड़खड़ाने लगते हैं

भूल गए हैं कितने सारे अल्फाज़ हमसे पूछिए


इश्क़ में कुछ पल सुनहरे हमने भी गुज़ारे हैं

कैसी थी वो आँखें वो आवाज़ हमसे पूछिए


मिले कभी फुर्सत तो हमसे पूछना है दर्द क्या

क्यूँ हुए हम खुद से भी नाराज़ हमसे पूछिए।


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