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Akansha Rupa chachra

Abstract

4.5  

Akansha Rupa chachra

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अमर कविता

अमर कविता

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मैं रहूँ या न रहूँ, मेरे दुनियाँ से जाने के बाद

हमेशा रहेंगी मेरी कविताएँ,

मेरे बाद सबको याद दिलाएंगी मेरी कविताएँ।


मेरी आवाज़ जब सदा के लिए ख़ामोश हो जाएगी,

तब भी मेरे दिल की सब बातें कहती जाएँगी मेरी कविताएँ।


जिसके लिए लिखती हूँ एक दिन वो भी चला जायेगा,

पर उसका हाल हमेशा छुप के सुनाएंगी मेरी कविताएँ।


कुछ बचे या न भी बचे उससे कोई फर्क नही पड़ता,

डायरी के पन्नों में सिमट के बच जाएंगी मेरी कविताएँ।


जो बातें न जाने कब से दिल दफना के रखी हुई है,

वो अनकही सी कोई दास्तान सुनाएंगी मेरी कविताएँ।


लिखते लिखते एक दिन खाक हो जाएगी " रूपा"

फिर भी क़यामत तक जी जाएंगी मेरी कविताएँ।


कुछ अच्छा बुरा अहसास देती जिंदगी

मेरे बुदबुदाते पलो की,नमी से भीगी मुस्कुराहट की

दस्तान सुनायेगी मेरी कविताएँ।।


मेरे जाने के बाद अमर हो जाएगी मेरी कविताएं।


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