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Pooja Anil

Abstract

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Pooja Anil

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अमन

अमन

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अमन तोपों, बमों और बन्दूक की गोलियों से 

उतना ही आहत है यह संसार,

जितना कि अविश्वास, घृणा और छल से। 


(आपस का व्यवहार अब है लज्जाकारी,

समाज खोज रहा कोई उद्धारकारी।)

प्रेम नदी का उद्गम हूँ मैं, 


इस दुनिया के प्रत्येक जल स्त्रोत में

मिल कर मुझे पहुंचना है, 

प्रत्येक ह्रदय तक, ताकि मिट सके नफ़रत,

और जगे प्रेम, विश्वास, समर्पण। 


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