अलबेला साथी
अलबेला साथी
चार दिनों का मेला, साथी !
क्या-क्या हमने झेला, साथी !
हरदम मात मिली क़िस्मत को
खेल समय ने खेला, साथी !
सपने अक़्सर बहा ले गया
मज़बूरी का रेला, साथी !
ख़ूब बटोरी शोहरत लेकिन
हाथ नहीं है धेला, साथी !
एक अकेला तन्हा दिल है
"वर्षा" का अलबेला साथी !