Varsha Singh

Drama

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Varsha Singh

Drama

अलबेला साथी

अलबेला साथी

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चार दिनों का मेला, साथी !

क्या-क्या हमने झेला, साथी !


हरदम मात मिली क़िस्मत को

खेल समय ने खेला, साथी !


सपने अक़्सर बहा ले गया

मज़बूरी का रेला, साथी !


ख़ूब बटोरी शोहरत लेकिन

हाथ नहीं है धेला, साथी !


एक अकेला तन्हा दिल है

"वर्षा" का अलबेला साथी !


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