अकेलापन
अकेलापन
घंटो घंटो मुझसे बाते करता है,
भावनाओं को तरासता और अपने अंदर समा लेता हैं
ज़िन्दगी में कुछ खट्टी मिट्ठी एहसास दे जाता है।
अकेलापन वादियो में नहीं,
वरन् शहरो में पलता हैं,
अकेलापन तन्हाई में नहीं महफ़िलो में भी उतना ही खलता हैं।
दिल में दर्द, आँखों में पानी,
क्या चाहिए तुझे जीने के लिए ए ज़िन्दगानी????
कही अनकही बाते कभी हँसाती है तो कभी रुलाती है,
हमेशा अकेलेपन का गहरा एहसास दिलाती हैं।
अकेलेपन से आज तक न कोई बच पाया है,
और न ही अपना रुख मोड़ पाया है,
यही खुश रहने का बहना भी हैं,
और दुखो का सागर भी।
