अकेला
अकेला
अकेला हूं जहां कहीं भी
अकेला ही रहता जब
दोस्त के साथ ना था
अकेला हूं मुझमें कुछ कमी है
अकेले छोड़ के चले जाते हैं
मुझे समझ नहीं पाते कोई।
मैं भला किसी को दुःख क्यों दूं
जिसके साथ रहने का चाहत मेरा
उसके करीब रहना भी चाहूं
क्या शाक है मुझमें वो
हमसे दूर जाने की कोशिश करते हैं।
उनके हंसी पर हंसता हूं
तो भी दिक्कत उनको
उनका सम्मान भी करूं
अपना अहसास भी ना बताता
फिर भी हमसे दूर होते हैं।
