अजब गजब है अपनी धरती
अजब गजब है अपनी धरती
इस पृथ्वी पर अजब गजब है
हैं विचित्र इसकी तानें
कुछ हमको विज्ञान बताता
कुछ को हम खुद ही जानें
कितने रँग के पुष्प खिले हैं ?
क्या कोई बतलायेगा ?
मीठे खट्टे फल क्यों होते ?
क्या कोई समझायेगा ?
कुछ दानों को जब हम बोयें
क्यों लाखों बन जाते हैं ?
मिट्टी के अंदर से पौधे
चुपके से उग आते हैं।
हरा हरा सुंदर खरबूजा
अंदर लालम लाल क्यों ?
दादी मम्मी की दाढ़ी पर
उगते नहीं हैं बाल क्यों ?
ये समुद्र का खारा पानी
बोलो कहाँ से आता है ?
चमगादड़ क्यों उल्टा लटका ?
जुगनू क्यों जल जाता है ?
तपता सूरज चंदा शीतल
धरती क्यों रंगीन है ?
आसमान क्यों उल्टा लटका
उसकी कहाँ जमीन है ?
बड़ी गजब की धरती अपनी
आओ इसको प्यार करें।
पर्यावरण बचाएँ इसका
हम ऐसा व्यवहार करें।