STORYMIRROR

मिली साहा

Abstract

4  

मिली साहा

Abstract

ऐसी ही होती है माँ

ऐसी ही होती है माँ

1 min
464


माथे पर हो कैसी भी शिकन,

या सता रही हो कोई उलझन,

पल में समझ जाती है माँ,

बस ऐसी ही होती है माँ,


बच्चे होते माँ की धड़कन,

उनसे ही जुड़ा होता जीवन,

खुद के लिए कहाँ जीती है माँ,

बस ऐसी ही होती है माँ,


अंधेरों से माँ हमें बचाती है,

हर तकलीफ खुद सह जाती है,

मुश्किलों से योद्धा बन लड़ जाती माँ,

बस ऐसी ही होती है माँ,


हमारे आंसू रोक लेती हथेली में,

हर जवाब है वो जीवन की पहेली में,

जीवन भर साथ नहीं छोड़ती माँ,

बस ऐसी ही होती है माँ,


मन की बात समझ जाती,

ना जाने कैसे यह सब करती,

बच्चों के लिए जादू की छड़ी है माँ,

बस ऐसी ही होती है माँ,


धरती पर ईश्वर की पहचान है,

अमूल्य माँ का हर बलिदान है,

सिर्फ देने की परिभाषा जानती है माँ,

बस ऐसी ही होती है माँ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract