ऐसी भी एक ज़िन्दगी
ऐसी भी एक ज़िन्दगी
जानती हूं जिंदा हूं
पर ज़िन्दगी क्या है अब तक जाना नहीं।
ज़िन्दगी के लम्हों को गुज़ारा है
इन लम्हों में कभी खुद को संवारा नहीं।
सबकी खुशियों की फ़िक्र की
पर अपने दुखों में किसी को पुकारा नहीं।
स्वाभिमान पर अपने करती हूं नाज़
चूंकि खुद पर रखती हूं यकीन आज।
कभी गिरती हूं तो कभी संभलती हूं
हर मुश्किल पार करने की हिम्मत रखती हूं।
यूं तो सब साथ हैं मेरे
कुछ अधूरा सा अभी भी हैं ज़िन्दगी में मेरे।
खुशियों में तो शामिल हुईं हूं
पर सच्ची खुशी की तलाश अभी भी है।
मेरे हृदय में लक्षय की प्यास अभी है
ज़िन्दगी जीने की आस अभी भी है।
लक्षय को जिस दिन पा जाऊंगी
एक अद्भुत खुशी साथ अपने पाऊंगी।
जिंदा हूं जीने के लिए
हर पल खुशियां बिखरने के लिए
ज़िन्दगी को दिल से जीने के लिए।
