Monika M

Abstract

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Monika M

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ऐ हृदय!

ऐ हृदय!

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हर किसी की तरह ऐ ह्रदय,

तू भी मुश्किल में है,

शब्दों को तुझसे,

 तेरा शब्दों से कुछ गिला सही,


अश्रु-अश्रु के रहते,

कुछ तो मिला न मिला सही,

ऐ ह्रदय मुझे मालूम है।

तू काफ़ी मुश्किल में है।


बहते रहें यूं बेबस ही,

नीर-नीर से अश्रु क्यों ?

बेरंग ह्रदय से वाखिफ हूं,

अब बेरंग से अश्रु क्यों ?


स्पष्टत नहीं अब कुछ भी नज़र में,

लेकिन रंगत से गिला नहीं,

ऐ मन तू अब भी मुश्किल में है,

अब तक उसका हल मिला नहीं।


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