ऐ हृदय!
ऐ हृदय!
हर किसी की तरह ऐ ह्रदय,
तू भी मुश्किल में है,
शब्दों को तुझसे,
तेरा शब्दों से कुछ गिला सही,
अश्रु-अश्रु के रहते,
कुछ तो मिला न मिला सही,
ऐ ह्रदय मुझे मालूम है।
तू काफ़ी मुश्किल में है।
बहते रहें यूं बेबस ही,
नीर-नीर से अश्रु क्यों ?
बेरंग ह्रदय से वाखिफ हूं,
अब बेरंग से अश्रु क्यों ?
स्पष्टत नहीं अब कुछ भी नज़र में,
लेकिन रंगत से गिला नहीं,
ऐ मन तू अब भी मुश्किल में है,
अब तक उसका हल मिला नहीं।