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Hridhya Ashok

Abstract Tragedy Inspirational

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Hridhya Ashok

Abstract Tragedy Inspirational

अधूरी नहीं हूं।

अधूरी नहीं हूं।

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जब दुनिया शाबाशी देती गई 

और पूछती गई कैसे मैने

ये मुकम्मल किया तेरा बिना

तभी याद आया मुझे की 

तू नहीं है मेरे साथ ,

पर पता नहीं क्यों, कभी अधूरा सा ही

नहीं लगा मुझे तेरे बिना।


जैसे आज भी तू मेरे साथ ही है,

हां, निराश तो आज भी हूं,

शिकायत तो आज भी है।

तुझे जाना जो पड़ा, 

हां हां, तुझे समझती भी हूं ,

आसान नहीं था ना,

पर और कोई राह भी नहीं थी ना ?

जब खबर आयी मुझे की तुम चली गई, 

तो मैं कुछ समझ नहीं पाई,

छोटी थी ना मैं,


बीते लम्हों के साथ समझ आया

कि तू वापस ना आएगी,

पर तू गई ही कब थी ?

तुम तो हर पल मेरे साथ थी ना।

तुझे याद तो करती ही हूं,

लेकिन अधूरी सी नहीं हूं।

एक दशक हो गए इस बात को,

और हमारी मुलाकात को।

पर लगता है जैसे कि आज भी तू

मेरे साथ ही है।

तेरी देह मिट्टी जो बन गई ,

पर आज भी मेरे हर फैसले में 

तुम जिंदा रहोगी।

ये वादा है मेरा कि तुम हर पल 

मेरे दिल में महफूज रहोगी।।


आपकी याद में ।।


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