अधूरे अनकहे वादे
अधूरे अनकहे वादे


आज आसमां कुछ उदास सा है
हवाओं में भी थोड़ी नमी सी है
आज आखें अकेले में फ़िर से रोई हैं
आज तेरी यादों में फ़िर से तन्हाई सी है
आज फ़िर से अपने ख्वाबों पर
मैंने बिखरने की सिकांज देखी है
आज फ़िर से मेरे वादों पर
मैंने अधूरेपन की जंग लगी देखी है
मगर तुझसे गीले सिकवे करूं भी तो कैसे करूं
तूने कभी कोई वादा किया ही ना था।