अद्भुत नजारा
अद्भुत नजारा
अद्भुत तेरी कारीगरी,
हम से कही न जाय।
जहां-जहां तक दृष्टि जाती,
अनुपम रूप दिखाए।
ऊंचे-ऊंचे पर्वत,
गहरे नद और नाले।
सघन वनों के भीतर जा देखो,
पशु पक्षी मतवाले।
गंगा जमुना ब्रम्हपुत्र की,
निर्मल बहती धार।
कितनी जगह में सागर फैला,
कोई न पावै पार।
तरह-तरह है नर-नारी,
जिनके रूप अनेक।
जात-पात रंग रूप अलग है,
लेकिन सब हैं एक।।