अभिप्रेरणा गीत
अभिप्रेरणा गीत
लक्ष्य दूर पथ कठिन बहुत है तो मनवा घबराना क्या
तुफ़ानों से घिरा हो रस्ता, डर डर क़दम बढ़ाना क्या
युवा शक्ति की युवा सोच से, नयी कहानी लिखता चल,
नित कंटक पथ पथरीले मग, लौट के वापस आना क्या।
पार्थ सदृश संधान से तुमको, गंगाजल का प्रस्फुटन करो,
कृष्ण सदृश कर धरो सुदर्शन, अरु कूरीति पर वार करो,
समरांगण में बनो सारथी, धर्म ध्वजा तुम फहराओ,
विपदाओं के वज्रपात से, पग-पग पर घबराना क्या।
लक्ष्य दूर पथ कठिन बहुत है तो मनवा घबराना क्या
तुफ़ानों से घिरा हो रस्ता, डर डर क़दम बढ़ाना क्या।।
अंगद जैसा पगप्रहार कर, शत्रु हृदय पर वार करो,
हनुमान सा बलशाली तुम, लंका का तुम दाह करो,
चुमेगी तेरे चरण सफलता, दृढ़ संकल्प हृदय धर ले,
सागर की अति गहराई को, देख राह मुड़ जाना क्या।
लक्ष्य दूर पथ कठिन बहुत है तो मनवा घबराना क्या
तुफ़ानों से घिरा हो रस्ता, डर डर क़दम बढ़ाना क्या।।
काट निराशा के बंधन को, आशाओं के हथियारों से,
करो बंद मन कोलाहल को, कर साधना अन्तर्मन से,
कहीं पे होगा अमृत वर्षा, कहीं मिलेगा विष प्याला,
गर्म थपेड़ों के आघात से, पल में रोना मुस्काना क्या।
लक्ष्य दूर पथ कठिन बहुत है तो मनवा घबराना क्या
तुफ़ानों से घिरा हो रस्ता, डर डर क़दम बढ़ाना क्या।।
धरा छोड़ आकाश नाप ले पंख खोल साहस भर ले,
नाप ले गहराई सागर की, अन्तर्मन को दृढ़ कर ले,
मेहनत और ईमान से प्यारे, क़दम सफलता चूमेगी,
मिले बाधाएं गर राहों पर, पीछे क़दम बढ़ाना क्या।
लक्ष्य दूर पथ कठिन बहुत है तो मनवा घबराना क्या
तूफ़ानों से घिरा हो रस्ता, डर डर क़दम बढ़ाना क्या।।