STORYMIRROR

Sopan Raj

Inspirational

3  

Sopan Raj

Inspirational

अभिमन्यु

अभिमन्यु

2 mins
14K

रण मे जो कल कृष्ण बने कौरवो से लड़ा था,

क्या वो ही अर्जुन पुत्र अभिमन्यु कल रण का मृत्युंजय बन हुआ था,

क्या सूर्य सा तेज वाला, कल कर्ण भी उससे भी लड़ा था,

क्या गुरू पुत्र अश्वत्थामा भी कल के महासमर मे गंडीव धरा था,

क्या कूल गुरु कृपाचार्य ने भी, अबधो बालक से भीषण युद्ध किया था,

क्या वो भी थे उस युद्ध मे, जिसने स्वयं अर्जुन को सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर बनाया था, हाँ, हाँ वही गुरु द्रोण जिसे सबने जाना,

क्या वहाँ कूरू पुत्र, दुर्योधन, दुःशाषण भी कल युद्ध किया था,

क्या कल वो चौसर वाला शकुनि भी समर लड़ा था,

क्या सबने मिलकर भीष्म पितामहे के बनाए युद्ध नियमो का पालन किया था।

क्या महारथी सारे महासमर के नियमो के अनुकूल लड़ा था,

क्या सबने मिलकर केवल एक क्षत्रिय वीर से द्वन्द किया था,

क्या ह्रदय वीरो का तनिक न विचला था,

क्या सारे ज्ञानी अधर्म का पालन करने को आतुर थे,

क्या वही सोभा थी वीरो की जो उन्होंने किया था,

बस इतना सा सवाल मेरा इसका उत्तर दे दो,

क्या महासमर का सारा गैरव रणधीर अभिमन्यु नही था,

क्या विजय श्री का ताज कल अभिमन्यु के सर नही था,


सात-सात वीरो को अकेले अभिमन्यु ने धन्य किया था,

सचमुच कल का रण कुरूक्षेत्र को गौरवान्वित किया था,

सचमुच अभिमन्यु कल का महाबली था

गिरा वीर जब धरा पर

 मृत्यु भी आशंकित थी

पर्वत राज नत मस्तक था,

सुख गया गंगा का जलधारा था,

दसो दिशाऐ त्राहि-त्राहि एक स्वर मे पुकारा था

स्वय सूर्य देव भी मेघ की ओट मे छीपे हुए थे

सभी देवता स्तब्ध मौन खड़े हुए थे,

फूट पड़ी थी ज्वालामुखी भी धरती के भीतर से

रो पड़े थे, शिव भी देख इस अजय रण को



एक-एक कर उस वीर ने सबको सावधान किया

बड़ो को कर प्रणाम, अंतिम युद्ध आरंभ किया

जिवन जय या कि मरण का निश्चय किया,

क्रोध कपट, कौरव सेना के सातो महायोद्धया,

ने मिलकर उसका वध किया।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational