शहीद
शहीद
आज फिर वो धन्य हो गया,
धन्य हो गई वो माटी
धन्य हो गई होगी वो परिपाटी,
पालने मे झुलाई होगी जिसने एसी माटी
गौरवमय वो गर्भ हुआ होगा,
जिसने बीर ऐसा जना होगा,
छाती आज वो चौड़ी होगी,
जिसने कांधे पे बिठा चलना सिखाया होगा,
राखी भी आज वो अपने पे इतराती होगी,
कलाई पे था जो बंधा,
रखे उसके बटुए मे,
वो रोती बिलखती होगी,
खुद से अपने आँसूओ को,
खुद ही वो पोछती होगी,
समझाया होगा फिर बटुए ने,
उसको समझदार बतलाया होगा,
ओर कुछ फिर यूं,
उसका ढाढ़स बढाया होगा
"तुम स्त्री वीर की, कर'
सकते आंसू तुम्हे कमजोर नहीं,
तेरे ही भरोसे 'मे तो अपना घर छोड़ आया हूँ,
वो जो खाट पे बैठे हो,
वो जो पास मे कर रही सिलाई है,
चोटियां जिसकी तूने अभी-अभी की है,
और हंस के कहा 'कुछ ही दिन मे तेरी बिदाई है',
और खाने का बोल के,
जिसने अभी एक्टिवा लगाया है'
सब, सब कुछ जो भी मेरा था,
सब तेरे ही भरोसे मे तो गांव छोड़ आया था,
एक मां को तेरे जिम्मा सौंपा कर,
एक मां की जिम्मा मे उठाया था,"
दोषी मे तेरा भी हूँ,
सात जन्मों तक साथ चलने का कसम
इसी जन्म मे झुठलाया हूँ,
हो सके तो माफ करना,
मेरे पास अब ओर समय नही है,
मैं, मैं ही तेरे हर खत
का जवाब,आखिरी हूँ ,
तिरंगे मे लिपटा मैं,
अब तेरा हर सवाल आखिरी हूँ,
और जितना मै बलिदानी हूँ,
उससे कहीं बड़ी बलिदानी तू है,
तुम स्त्री वीर की, कर'
सकते आंसू तुम्हे कमजोर नहीं,
आज फिर वो धन्य हो गया,
धन्य हो गई वो माटी
किसी की मेहंदी, चूड़ी, बिंदीया का,
पाजेब, महावर, बिछिया का,
कान की बाली, होंठो की लाली,
और नाकों की नथिया का,
चूड़ामनी, गजरे, सिन्दूर, का
कर्ज दार रहेंगे हम,
किसी की राखी का,
किसी की बैसाखी का,
तो किसी के मन मुटाव का
कर्ज दार रहेंगे हम,
किसी की गीतों का,
किसी की प्रीतों का,
और किसी बागीचों का,
कर्जदार रहेंगे हम
किसी की यादों का,
किसी की रूषवाई का,
किसी भाई के आधी हुई लडा़ई का,
कर्जदार रहेंगे हम
किसी के साथो का,
किसी के वादों का,
किसी के बाकी चाय, समोसों का,
कर्जदार रहेंगे हम।।
नमन उन वीरों को,
जो कर्तव्य निभाते चले गये,
अपनी शहादत से,
अमर ज्योति जलाते चले गये।।।
