आज़ादी
आज़ादी
लहू कितना बहा कर , इस के मुल्क को आज़ादी मिली
जिनका सब कुछ लूट गया वतन पे , उनको क्या उपाधि मिली !
ना नाम मिला ना शोहरत मिली ,बस गद्दारो की गाली मिली !
कुछ भूखे भ्रष्ठ नेताओ को , सियासत की आज़ादी मिली !
गुलाम क़लम से लिखा गया ,थोड़ा सा शहीदो का इतिहास!
भूखे बेज़मीरो नेताओं से क्या , शहीदो के सम्मान की आस!
आज हिन्द के हर वासी को , अपनी आज़ादी पर धिक्कार है !
अगर आज़ाद भारत में भी अब शहीदो के सम्मान की गुहार है !
वो आज़ाद क़लम से लिख गये अपने सब अश्क़ ए अज़ाब !
एक दिन लोट कर आएगा वतन पर मिटने वालों का सैलाब !
"सना कर खून से इस जिस्म को, वो जवानी दे गए अपनी
उल्फ़त अहले वतं से सच्ची है वो हंसते हंसते कुर्बानी दे गए अपनी! "