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Shayar Praveen

Action

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Shayar Praveen

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आज़ाद

आज़ाद

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मूँछों को ताव देना निशानी रही,

दुश्मनों से लड़ती जवानी रही।


छूँ सका ना कोई दुश्मन जिसे, 

मेरी आज़ाद कि ऐसी कहानी रही।


सारी उम्र वतन पर जो मरते रहे,

सर पर बाँधे कफ़न जो लड़ते रहे।


उन शहीदों का गुणगान मैं कैसे करूँ

फाँसियों पर चढ़कर जो हँसते रहे।


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