आवाज
आवाज


क्यूँ इतनी गर्दिशें
क्यूँ इतनी पाबंदियां
ऐसा क्या गुनाह कर दिया
मैंने लड़की बनकर।
ना सांस लेने की अजादी
ना कुछ कर दिखाने की छूट
मत दफन करो ख्वाबों को मेरे
मत तोड़ो यूं मेरी उम्मीदें।
ऐसे भी ना जिन्दा छोड़ो
कि सांस तो चले
पर अंदर से मर चुकी हो
ऐसा भी क्या गुनाह कर दिया
मैंने लड़की बनकर।