आत्मा मुक्त...शरीर रिक्त
आत्मा मुक्त...शरीर रिक्त
समरभूमि में पार्थ को प्रभुवर ज़ब ज्ञान देते हैं,
मन में उठती शंकाओं का समाधान बताते हैं :
तत्पर होकर पार्थ युद्ध में खूब हाहाकार मचाते हैँ,
योद्धा अजेय बनते थे उन सबको मार गिराते हैं:
वीर बहादुर समरभूमि में लड़ने जब जाते हैं,
जीत का पताका लहराकर विजयी बन जाते हैं:
शीष काटकर अरि का जब वह घर आते हैं,
गौरवान्वित मातापिता पूत गले लगाते हैं:
मुक्तिकाल में आत्मा शरीर दोनों विलग होते हैं,
शेष बची स्मृतियां ही जीव के यशगान गाते हैं!
