आस्तीन के सांप
आस्तीन के सांप
अफवाह की आंधियां दिल जल रहे हैं इंसान जिंदा बुत एक दूजे से करता सवाल जनाब हकीकत क्या।।
दुश्मनों से डरने की जरूरत नही
आस्तीन के आदू करते परेशान उनको औकात बताने से गुरेज क्या।।
खुदा अब नीद से जागा उसके
कायनात की सच्चाई बता रहा हूँ मौत के सौदागर का तुझसे वास्ता क्या।।
हिम्मत नही जो सच्चाई की जंग लड़ सके दहशत के दरिंदो को जन्नत की हूर दिखना क्या।।
हंसी महफिले फरेब रकीब अब जनाजे के कंधे चार इश्क मोहब्बत अमन का पैगाम क्या।।
जमाने की फिक्र किसको खुद जमाने को खुदा की ख्वाब का आईना दिखा रहा हूँ कोई नही देखता तो क्या।।