आशा की किरण
आशा की किरण
अब फिर एक उम्मीद जगी है
कुछ करके कुछ पाने की
अब दूर नहीं है मंजिल
बस बारी है मन को हठी बनाने की।
जब थके हुए हो हम
तब सपने भी रुक जाते हैं l
तब नींद कहां से आएगी
तब ख्वाब कहां से पैदा हो ।
अब एक लंबी देरी के बाद
एक नूतन मार्ग मिला है
अब दूर तलक है जाना,
जहां सब कुछ हरा भरा हो।
अब नई उमंग है नई किरणों
से घिर जाने की।
कुछ नई ललक कुछ नई सबक
से अपने को नया बनाने की।
जब सूरज के उजलेपन में
सब कुछ साफ हो जाता है।
तब पुलकित हो यह मन भी
एक नए स्वर में गाता है।
और एक नई अभिलाषा के साथ
पुनः वह नए गीत सदा के लिए गाता है।