खुद से एक मुलाक़ात
खुद से एक मुलाक़ात
कुछ खुद को भी टहलाया जाए
कब तक औरों को फुसलाया जाए
गर आती बदबू गैरों से
तो खुद को भी नहलाया जाए
उसको बातें समझ न आतीं
अब खुद को ही समझाया जाए
आज तलक जो दूर ही बैठा
अब उसको पास बुलाया जाए
इसकी उसकी बहोत हुई अब
खुद भी कुछ शरमाया जाए
दिल पर उसके घाव बहुत हैं
अब जख्मों को सहलाया जाए
गैरों से जो फरमाया हमने
बस उसको ही अपनाया जाए
अपना और पराया छोड़
सबको गले लगाया जाए।