आप मैं और संसार
आप मैं और संसार
वहाँ मिले यहाँ मिले, मिले मुझे पानी के बुलबुले
कोई नेता,कोई मौन, कई तो खुश दिखे चुलबुले
कोई दुध, कोई पानी, हर किसी की एक कहानी
कोई गाए कोई सुनाए कोई कहे औरों की जुबानी
कोई दीवाना, कोई दिलजला, है सबका एक किस्सा
उमंग, जोश, बेचैनी , एकाकी अपना अपना हिस्सा
कोई हँस के भेष में काग, कोई ठिठुरता हुआ आग
कोई मंथरा तो कोई माँ सीता लिए कलंक का दाग
कोई बिल से झाँके,कोई बढ़ा आकार पैर दे पसार
याद रहे नश्वर हैं आप नश्वर मैं और नश्वर है संसार!
