आओ मन का दीप जलाए
आओ मन का दीप जलाए
बाहर करके उजियारों को सघन अंधेरा दूर भगाए
आओ मिलकर दीप जलाए आओ मिलकर दीप जलाए
एक दीया ले दिल का अपने डालें उसमें मन का बाती
उजियारा कर ज्ञान प्रेम का कल छपट द्वेष राग मिटाए
मन के भीतर दीप जलाए आओ मन का दीप जलाए
आओ मन का दीप जलाए दीपक जैसा लालायित हो
भोर तक जलने के लायक हो पीकर तिमिर जहां
औऱ मन की गीत प्रेम की गातें जाए
आओ मिलकर दीप जलाए आओ मन का दीप जलाए
दीप रीति अब मुझें निभानी जलकर देकर ख़ुद
कुर्बानी किरण पथ पर बढ़कर हमेशा ग़म तम भ्रम सब द्वेष भगाए
आओ मिलकर दीप जलाए आओ मन का दीप जलाए
उजियारा जग तब होगा,जब दीप्ति शिखा सा तन होगा
मन में छाई गहन तिमिर तक विरल सघन
अंतरतम में ज्योति पुंज की एक पहुँचाएँ
आओ मिलकर दीप जलाए आओ मन का दीप जलाए।