आओ करें हम याद आज आजादी के दीवानों को
आओ करें हम याद आज आजादी के दीवानों को
आओ करें हम याद आज, आजादी के दीवानों को,
जिसने अपना जीवन वारा, देश आजाद कराने को,
अपनी खुशियों की दी कुर्बानी अमन चैन बनाने को,
भारत ने थी ली अंगड़ाई जब आजादी की ठानी थी,
आजादी के हुए सिर्फ साल 75, पर ये सभ्यता बहुत पुरानी थी,
साबरमती से हुई शुरुआत महोत्सव के वो दिन आज आनी थी,
उन वीर सपूतों की कुर्बानी चलो आज करते है याद,
गाकर राष्ट्र गान करें आजादी के अमृत महोत्सव का गुणगान।
बालगंगाधर तिलक ने भी कहा,
स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है,
अंग्रेजों के अधिपत्य को सन 57 में मिली पहली चुनौती थी,
लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, नाना ने खूब लड़ी लड़ाई फिर भी आजादी हाथ न आई थी,
सुलग उठी चिंगारी को बापू, तिलक संग पटेल, सुभाष ने संभाली थी,
कितनों ने लाठियां खाई तो कितनों ने गोलियां खाई थी,
जेल की बात क्या प्राणों पर आफत आई थी,
बापू के सत्याग्रह ने अंग्रेजों की नींव हिलाई थी,
अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा देश को आजादी दिलाई थी,
उन वीर बांकुड़ों के शहादत की दास्तां चलो आज मिलकर गाते है,
गाकर राष्ट्रगान चलो करें आजादी के वीर क्रांतिकारियों का गुणगान।।
