आखिर क्यों
आखिर क्यों
तुम हर पल गलती मेरे उपर ठहराते गए,
कभी समझा ही नहीं मेरी बेबसी को,
कभी सोचा ही नहीं मेरे दिल की बेहाली को,
हर दर्द की वजह मुझे ठहराते गए,
अपने ही धुन में तुम कहीं खोते ही चले गए,
आखिर क्यों इतने आगे चलते चले गए,
कि मुझे भुलने ही लग गए,
हर पल दगेबाज ठहराते गए,
हर पल खुद की नजरों में
गुनहगार साबित करते गए,
अब तो हम बहुत दूर चले आ गए,
इस दिल ने भी तुम्हें अपनाने से
इंकार कर दिया,
तुम्हारी हर बात अनसुनी करने लग गया,
अब मेरी जिंदगी में तुम्हारा
रत्ती भर मोल नहीं रहे गया।

