आखिर कब तक
आखिर कब तक
आखिर कब तक मजदूरी
सड़कों पर भटकती रहेगी
आखिर कब तक आकडों
कि रफ्तार बढ़ती रहेगी
आखिर कब तक सड़कें
सुनी रहेगी
आखिर कब तक घरों में
जिन्दगी कैद रहेगी
आखिर कब तक राजनीति
हर बात पर चलती रहेगी
आखिर कब तक इंसानियत
इंसा के पीछे भागती रहेगी
आखिर कब तक किस्मत, की
किस्मत सोई रहेगी।