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Shaheer Rafi

Abstract

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Shaheer Rafi

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आकबत

आकबत

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तपेदिक की इन्क़लाबी खाँसी, 

और मुँह से निकलता ख़ून है ।

ख़ुदको हलाक करने का, 

चढ़ा यह कैसा जुनून है ।


बज़्म-ए-ऐश में अहक़र रहता,

ज़ुबाँ से उफ़ तक न कहता ।

लाहक़ ये तसव्वुफ़ है, 

‎या फ़लसफ़ा-ए-अफ़लातून है ।


जिस्म में वह घुट - घुट कर मरता, 

मग़र ख़ुद से यह सवाल न करता ।

कहाँ है वह ? क्यों है वह ? क्या है वह ?

क्या मक़सद है ? 

कहाँ जाना है ? क्या पाना है ? 

तलाश-ए-म'आश तो बस मजबूरी है,

" तज़किया - अल- नफ़्स " ज़रूरी है ।


फ़िक्र-ए-सुख़न में " आकबत " मिली,

रूह को थोड़ी, राहत मिली ।

 

            


*आकबत =&

nbsp; , यमलोक, आखिरत, परि- णाम, अंजाम, अंत, अख़ीर।

*तपेदिक = tuberculosis.

*‎हलाक = मौत

*‎बज़्म-ए-ऐश = assembly of pleasure.

*‎अहक़र = Lowly, unworthy.

*‎ लाहक़ = contiguous/meta - truth.

*‎तसव्वुफ़ = Tasawwuf = Sufism is a knowledge through which one knows the states of the human soul,

*‎फ़लसफ़ा-ए-अफ़लातून = philosophy of plato,

*तलाश-ए-म'आश = search for livelihood.

*‎तज़किया - अल- नफ़्स = Tazkiah (Arabic: تزكية‎) is an Arabic term alluding to "tazkiyah al-nafs" meaning "sanctification" or "purification of the self". 

            

 ‎*फ़िक्र-ए-सुख़न = poetic thought.


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