आकबत
आकबत
तपेदिक की इन्क़लाबी खाँसी,
और मुँह से निकलता ख़ून है ।
ख़ुदको हलाक करने का,
चढ़ा यह कैसा जुनून है ।
बज़्म-ए-ऐश में अहक़र रहता,
ज़ुबाँ से उफ़ तक न कहता ।
लाहक़ ये तसव्वुफ़ है,
या फ़लसफ़ा-ए-अफ़लातून है ।
जिस्म में वह घुट - घुट कर मरता,
मग़र ख़ुद से यह सवाल न करता ।
कहाँ है वह ? क्यों है वह ? क्या है वह ?
क्या मक़सद है ?
कहाँ जाना है ? क्या पाना है ?
तलाश-ए-म'आश तो बस मजबूरी है,
" तज़किया - अल- नफ़्स " ज़रूरी है ।
फ़िक्र-ए-सुख़न में " आकबत " मिली,
रूह को थोड़ी, राहत मिली ।
*आकबत =&
nbsp; , यमलोक, आखिरत, परि- णाम, अंजाम, अंत, अख़ीर।
*तपेदिक = tuberculosis.
*हलाक = मौत
*बज़्म-ए-ऐश = assembly of pleasure.
*अहक़र = Lowly, unworthy.
* लाहक़ = contiguous/meta - truth.
*तसव्वुफ़ = Tasawwuf = Sufism is a knowledge through which one knows the states of the human soul,
*फ़लसफ़ा-ए-अफ़लातून = philosophy of plato,
*तलाश-ए-म'आश = search for livelihood.
*तज़किया - अल- नफ़्स = Tazkiah (Arabic: تزكية) is an Arabic term alluding to "tazkiyah al-nafs" meaning "sanctification" or "purification of the self".
*फ़िक्र-ए-सुख़न = poetic thought.