आज़ादी
आज़ादी
लाल हुई थी धरती अपनी,
कत्ल हुआ था धरती माँ का,
लाखों लोगों के बलिदान से,
रक्त रंजित हुआ इतिहास अपना।
वो जोश, वो पीड़ा, वो दर्द,
वो अहसास, वो विश्वास,
जिसने ललक जगाई,
वीर सपूतों में इतनी ताकत।
हमने अपनी पाई,
आग जली, तलवार चली,
खून बहा, गोली चली,
माँ ने अपने बेटों को कुर्बान कर,
अज़ादी की हुंकार भरी।
कोई लड़ा, कोई दौड़ा,
कोई आज़ादी के लिए तड़पा,
कोई जीता, कोई हारा,
कदम रुके नहीं, इतिहास बन गए।
जलते हुए अंगारों पे चल कर,
हम आज़ाद बन गए,
गुलामी की जंजीरों को
हमने काट दिया।
नामुमकिन लगता था जो,
उसे मुमकिन करके दिखा दिया,
चमका दीं आज़ादी की लहरें,
शैलों पर चलकर दिखा दिया।
साबित धरती माँ को करके,
विश्वास अपना दिखा दिया,
भारत की भूमि का
चमक पड़ा इतिहास।
आ गई आज़ादी
सफल हुआ संग्राम,
सफल हुई आज़ादी,
विश्व पर छोड़ी अपनी छाप।
हम बढ़ रहे हैं और
कर रहे अपना विकास,
याद है कुर्बानी हमको,
जो भरती है ललकार।
है विश्वास, है विश्वास, है विश्वास,
समग्र भारत हो अपना,
अखंड भारत हो अपना।
हिंदु-मुस्लिम-सिख-ईसाई,
सब मिल कर करें प्रयास,
भारत बने महान।
भारत बने महान।