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Himanshu Charan

Inspirational Others

5.0  

Himanshu Charan

Inspirational Others

आजा़द

आजा़द

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आज़ाद मुल्क है पर गुलाम हैं लोग आज भी,

कुछ पुराने रीति रिवाज के,

कुछ अपने ही बनाए इस समाज के,

कुछ दकियानूसी बातों के,

कुछ व्यर्थ के रीश्ते नातों के।


बेच खाया देश सारा,

काली कमाई के कारोबार में,

तो कहीं नेतागिरी के बाज़ार में,

रिश्वत और बेईमानी की आड़ में,

तो कहीं काले धन के जुगाड़ में।


बांट डाला देश हमने,

रंग रूप और शकल में,

कहीं एक पंजे और एक कमल में,

जात पात और धर्मों में,

कहीं भजन कीर्तन तो कहीं कलमों में।


इंतज़ार है हमें एक ऐसे देश का,

जहांं वही पंजा मुट्ठी बनेगा,

और उसी मुट्ठी में कमल दिखेगा,

जहां ना हिन्दू ना मुसलमान होगा,

होगा तो सिर्फ इंसान होगा।


"भांंति भांति के लोग बिखरे चारों ओर हैं,

देश एक है पर टुकडे़ सवा सौ करोड़ हैं।"



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