आहट
आहट
क्या हुआ
ये कैसी आहट है
समझ से परे
दस्तूर की गुनगुनाहट है।
जीवन के सफर में
हर पल ये कभी हँसाती
कभी रुलाती
ऐसी मिलावट है।
हम तो हर हाल में
मुसकुराते हैं
ये जो जीवन मिला है
उसी की तो ये झिलमिलाहट है।
रब से बस यही इबादत है
सदा खुशियाँ ही खुशियाँ बाँटे
ये ही जीवन की जगमगाहट है
जगमगाहट है।।