आधी रात को
आधी रात को


याद है मुझको जब कहा था
तूने आधी रात को
'इससे पहले की गगन से
चाँदनी हो जाए ओझल,
तारें सारे छिप जाएँ
औ दिवा आ जाए बोझिल,
आज हो जाने दे प्रिये
प्रेम की बरसात को'
याद है मुझको जब कहा था
तूने आधी रात को !!
धड़कनें कहाँ रूक रही थी ?
तेज़ सांसें चल रही थी
और मेरे साथ तुम भी
आग में जो जल रही थी,
संभालना मुश्किल था जैसे
प्रेम की शुरूआत को
याद है मुझको जब कहा था
तूने आधी रात को !!
कदली-मुकुल से दंत तेरे
रौशनी जो दे रहे थे,
-align-center">सघन तेरे वेणियों में
और हम भी खो रहे थे,
भूल न पाया हूँ अभी तक
उस अजब मुलाक़ात को
याद है मुझको जब कहा था
तूने आधी रात को!!
नींद के आगोश में जब
खुद को ही जग भूल रहा था,
एक होकर मन हमारा
प्रेम मे तब घुल रहा था,
कैद कर के मैनें रखा है
तेरी एक-एक बात को
याद है मुझको जब कहा था
तूने आधी रात को !
कब निशा की चाँदनी में
फिर वही मुलाक़ात होगी?
जन्मों तक इंतजार रहेगा
जाने कब वह बात होगी?
बस तू ही कर सकेगी
प्रात मेरी रात को
याद है मुझको जब कहा था
तूने आधी रात को !!