तूफान
तूफान
आज कितनी खुश थी मैं ...सोचा चलो अब जिन्दगी की गाड़ी पटरी पर चलने लगी है ! आज़ मन गुनगुनाने का करने लगा ...और हम गुनगुनाने लगे ....
इती सी हँसी इती सी ख़ुशी.....
.मैं उठी और आईने में खुद को निहारा !
एक मुस्कुराहट फैल गई ...चलो आज़ थोड़ा संवर लिया जाए।
आगे से कुछ बाल सफेद होने लगे थे उम्र के इस पड़ाव पे हूँ .....की मँझदार में जैसे हो कश्ती ! हमने संगीत चलाया और पुराने गाने सुनने लगे !
वैसे तो ऊब चुके थे हम अपनी जिन्दगी से ..पर आज़ ना जाने कौन आस पास था !
मेरे पति जो बात बात पे चिल्लाते हैं ! ..गुस्सा तो सातवें आसमां पर रहता है उनका, बस रोज़ झगडा !
पर कुछ दिन से सब ठीक चल रहा था ...कोइ ताना कोई उलाहना नहीं मिली था।
सोचने लगी की हरदम उबलने वाला इंसान इतना शांत कैसे हुआ ! सोचा शायद वो भी समझ गए की यूँ जिन्दगी ना गुजरेगी ! जब रहना संग ही है तो हँस के ही जीओ। ..खुद से ही सब बातें बुन रही थी।
पर शायद नहीं जानती थी ..तूफान से पहले की शांति है।
हमने खुद को सँवारा ..अच्छे दिख रहे थे हम ....गुनगुनाते रसोई में आए ..सोचा आज़ कुछ पकवान बनाते हैं। बस फिर क्या जुट गए हम !
चलो निपट गया किचन ...हम कुर्सी पे बैठ गए टेक लगाए और आँखे मूंद ली ! धीमे धीमे गाने बज रहे थे ! और हम खयालो में खो गए !
तभी अचानक फोन की घंटी बजी ...ट्रीन ट्रीन
मेरे पति का फोन था।
हम सन्न रह गए। हाथ से फोन गिर गया और हम भी धम से जमीं पे .....सोचने लगे क्यूँ खुशी रास नहीं आती ....क्या खुश होने का हक़ मुझे नहीं ....बस इसी तूफान की कमी थी I जो ऐसा आया की थमेगा नहीं !
आँखो में आँसू थे और मन में तूफान .....तलाक ...यही शब्द गूँज रहे थे। मेरे पति जो किसी के हाथ तलाक के पेपर भेज रहे थे ! चुपचाप साइन करने को बोला था !
एक सैलाब, एक तूफान सा उमड़ने लगा आँखो में ....एक तूफान .....जो कभी ना थमने वाला ...था...