काली
काली
आद्य अपनी माँ बनने की बात सुन खुशी से फूली नही समा रही थी।
उसके और सचिन के प्यार की पहली निशानी है।
दोनो बहुत खुश है इंतज़ार कर रहे अपनी प्यार की निशानी का।
वो एक दिन उनकी जिंदगी में भूचाल ले कर आया जब सचिन की माँ ने कहा उनको पोता चाहिए पोती नहीं।
सचिन ने आद्या ने उनको बहुत समझाया पर वो उनकी बेटी के साथ हुए हादसे को भुला नहीं सकी ।
उनकी बेटी " निर्भया " थी।
सचिन .."चलो आद्या हम ये चेक करवा लेते है लड़की हुई तो उसको गिरा देते है "।।
आद्या .."नहीं सचिन, यह हमारे प्यार की निशानी है।"
सचिन.."पर माँ कभी नही मानेगी उनकी तकलीफ़ बढ़ जाएगी यदि हमको बेटी हुई तो।"
आद्या.."तुम कुछ भी कहो मैं चेक नही करवाउंगी।"
सचिन .."तुम मुझे अब मजबूर नहीं करो चेक करवाने में क्या है, हो सकता है बेटा हो।"
कुछ सोच वो अस्पताल गई ।
डॉक्टर से बात करी।
डॉक्टर ने बेटा नहीं बेटी ही है पर इसका अबॉर्शन नही होगा, समय ज्यादा हो गया है । इससे माँ बेटी की जान को खतरा है ।
सचिन निराश हो जाता है
समय पर आद्या को प्यारी बेटी हुई।
अस्तपताल में सचिन और उसकी माँ ने हंगामा कर दिया।
घर आने पर बच्ची को मारने की साज़िश होने लगी और आद्या की सतर्कता से कामयाब नहीं हुई।
सचिन .."बस बहुत हुआ दो इसको मैं कहीं छोड़ आता हूँ ,माँ को बहुत तकलीफ़ हो रही है।"
आद्या..."मेरी तकलीफ़ का क्या ?? ये बेटी है मेरी, मेरा ही हिस्सा है ये।"
सचिन .."दो मुझे, तुम ऐसे नही मानोगी जबरन लेना होगा वो जबरन लेने जाता है तभी वो देखता है आद्या को .
आद्या दुर्गा का रूप ले अपनी बेटी की रक्षा करती है हाथ में बेलन, चाकू है।
सचिन पीछे हो जाता है।
"तुम लोगो ने क्या सोचा की मेरी बेटी को आसानी से दूर कर लोगे नही माँ को उनकी बेटी प्यारी थी, उसका दुःख अभी तक है तो मुझे क्यों मेरी बेटी प्यारी नही होगी।
ये " निर्भया "नही बनेगी ये चंडी बन दुष्टों का संहार करेगी। हिम्मत हो तो आओ आगे लेकिन उसके साथ जो भी होगा उसका जिम्मेदार वो खुद होगा।
मैं कमजोर नहीं न मेरी बेटी होगी कमजोर।
आपको मेरा साथ देना चाहिए था लेकिन आप ही विरोधी हो गए। जा रही हूँ मेरी बेटी को ले कर दूर याद रखना ये मेरा गर्व बनेगी, सचिन को ग़लती का अहसास हो गया वो आद्या के पैरों में गिर माफ़ी मांग रहा है।