भाई-बहन का मिलन (भाग-2)
भाई-बहन का मिलन (भाग-2)
भाभी के फोन आने के 2 दिन तक रूही सोचती रही कि भाई को फोन करूं या नहीं, इसी कशमकश में रूही फोन नहीं कर पाई। उधर भाभी नैना भी सोचने लगी कि ऐसा क्या करूं कि दोनों बहन भाई मिल सकें। तो उससे एक तो उसे एक योजना सूझी।उसने रूही को वीडियो कॉलिंग की और कट कर दी फिर चुपचाप अपना फोन पति विकास के आसपास रखकर किचन में चली गई। जब रूही ने नैना का वीडियो कॉल देखा तो उसने भी उसे वीडियो कॉल करने की सोच कर कॉल मिलाया जैसे ही फोन बजा विकास ने उठाया। सामने रूही का चेहरा देख एक पल के लिए वह सोच में पड़ गया,आज पूरे 15 साल बाद बहन को देखा था। बहन भाई खामोशी से बस एक दूसरे को देखे जा रहे थे और दोनों की आँखें बरस रही थी। यह सब नैना छिपकर किचन से देख रही थी। अचानक रूही ने भैया कहा तो विकास को जैसे किसी ने नींद से जगा दिया हो। विकास बस इतना ही बोल पाया कि रूही वापिस आ जाओ तुमसे मिलना चाहता हूँ ।
भाई से वीडियो कॉल होने के बाद रूही ने अगले ही दिन भाई से मिलने का सोच कर विवेक को बताया। लेकिन विवेक गुस्सा हो गया और उसने साफ कह दिया या तो तुम मुझसे रिश्ता रखो या अपने भाई से। खबरदार जो तुम गई यह सब सुन रूही बहुत ही परेशान हो गई। रात भर वह सो ना सकी। अपना घर याद आने लगा माँ -बाप, भाई -भाभी ।
सुबह उसने फिर विवेक से कहा,
" मैं अपने भाई से मिलने जाऊंगी और अब मुझे कोई नहीं रोक सकता।"
रुही की जिद को देख विवेक ने उसके साथ मारपीट शुरू कर दी।पहले भी कभी-कभार वो उस पर हाथ उठाता था लेकिन आज तो उसने हद ही पार कर दी।
जैसे ही विवेक ऑफिस के लिए निकला तो बच्चों ने फटाफट रूही की भाभी को फोन मिला दिया। और सब बता दिया थोड़ी ही देर में रूही के भैया पुलिस को लेकर रूही के घर पहुंच गए।विकास रूही के सर पर हाथ रख के बोला
," तेरा भाई तेरे साथ है तुझे किसी से मार खाने या डरने की जरूरत नहीं है तू सब बता जो तेरे साथ इन लोगों ने किया है। आज तुझे किसी से डरने की जरूरत नहीं है।"
रूही का भी सब्र का बांध टूट गया और वह फूट-फूट कर रोने लगी और उसने विवेक और उसके परिवार की सारी सच्चाई पुलिस के सामने बता दी। इतने में विवेक को भी घर बुला लिया गया और उसे पुलिस के हवाले कर दिया गया। विवेक के बार-बार माफी मांगने पर रूही से पूछने पर पुलिस ने उसे छोड़ दिया। लेकिन विकास ने विवेक को साफ-साफ कह दिया कि मेरी बहन आज से अकेली नहीं है उसके साथ उसका भाई उसका परिवार है आज के बाद अगर तुमने रूही से इस तरह का व्यवहार किया तो तुम्हें छोड़ा नहीं जाएगा और हां, अब मैं रूही को ले जा रहा हूँ तब तक तुम अलग घर का इंतजाम कर लेना। वह भी एक सम्मान पूर्वक जीवन जीने की अधिकारी है ।
आज रूही 15 बरस बाद अपने घर लौटी थी गेट पर उसके स्वागत के लिए उसकी माँ और भाभी पूजा की थाली लिए खड़ी थी। आज माँ की नम आँखें बार-बार नैना की और उठ रही थी और उसे दिल ही दिल हजारों दुआएं दे रही थी। आखिर वही तो थी जिसने सूने घर में रौनक ला दी। सबसे मिलने के बाद रूही घर के कोने कोने में जाकर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही थी। आज बरसो बाद उसने वह सुकून महसूस किया जो 15 साल पहले वो यहां छोड़ गई थी।
(इस कहानी के जरिए मैं युवाओं को ये संदेश देना चाहती हूं कि आप जो भी कदम उठाएं सोच-समझकर उठाएं और जब पढ़ाई या करियर का समय है उस समय उसी पर ध्यान दें और इतने लायक बने कि मां बाप को आप पर फक्र हो। और अपनी जिंदगी के छोटे बड़े सभी फैसलों मैं उनकी राय जरूर लें क्योंकि उनसे अच्छा शायद ही कोई मार्गदर्शक हो आपके लिए।
ठीक है अगर आप किसी को पसंद करते हैं तो खुद को और सामने वाले को कुछ वक्त दें। जिनको आप कुछ समय से जानते हो वो आपके मां-बाप व परिवार से बढ़कर नहीं हो सकते। क्योंकि मां-बाप हमारा बुरा नहीं चाहते आप मां बाप को दुखी करके कैसे खुश रह पाएंगे। जिन्होंने बचपन से ही आपको इतने प्यार से पाला पोसा उनकी आंखों में आंसू देकर आप अपनी दुनिया में कैसे खुश रह पाएंगे।
और साथ ही साथ मैं माता पिता को भी यह कहना चाहती हूं युवा होते बच्चों को समझे उनकी पसंद नापसंद को भी समझें। उनके साथ दोस्ताना व्यवहार करें ताकि वह आपसे सब बातें शेयर करें आपकी राय लें और कोई गलत कदम ना उठाएं। क्योंकि अगर मां-बाप बच्चों पर विश्वास करेंगे और बच्चे मां-बाप पर विश्वास करेंगे तो दोनों खुश रहेंगे।)