मन की बात
मन की बात
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कभी-कभी हम छोटी-छोटी बातों को बड़ी बात बना कर अनायास में ही झगड़े कर लेते हैं।
जबकि हमें यह मामला अपनी बातों को बोलकर सुलझाना चाहिए।
ऐसी ही एक यादें हैं मेरी बहन की , हो सकता है यह पढ़ने के बाद आप लोग भी अपने आप में कुछ सुधार लाएं।
हमें लगता है कि आप इन दिनों कुछ ज्यादा ही सोचने लगते हैं।
हमें यह पता भी नहीं होता कि सामने वाला क्या कहेगा, और हम अपने आप ही सोचने लगते हैं वह तो यही ही कहेगा। वह तो मेरी बात समझेगा ही नहीं। इसीलिए मैं अपनी बेइज्जती करवाने के लिए कुछ कहूंगी भी नहीं उससे।
मेरी बहन से मैं रोज बात करती हूं। हम घंटों फोन पर बात करते हैं। लेकिन पिछले कुछ दिनों से वह बहुत नेगेटिव होती जा रही थी। उसे लगता था उसके हस्बैंड उसे कुछ समझते ही नहीं।
दरअसल हुआ यह उसके हस्बैंड है पिछले कुछ दिनों में कई चीजें खरीदी और उसे बताया नहीं , जबकि उसकी सास को इसके बारे में जानकारी थी। तभी से उसे लग रहा था उसे कोई कुछ बताता ही नहीं।
वह मुझसे रोज बोलती मुझे कोई कुछ नहीं बताता , मुझे कोई अपना नहीं मानता। और अपनी बेइज्जती करवाने के लिए मैं किसी से कुछ पूछती भी नहीं हूं।
यह सब सुनकर मैं सोच में पड़ गई, अचानक से ऐसा क्या हो गया पहले तो सब कुछ अच्छा था। मुझे डर लगने लगा , कहीं ऐसे में मेरी बहन डिप्रेशन का शिकार ना हो जाए।
इसीलिए मैंने उसे एक बार अच्छी तरह से समझाया अगर उसे कोई भी उम्मीद है, या कोई बात बुरी लगी है तो उसे बात करके वही खत्म कर दे।
इस तरह से मन में रखोगी तो चीजें और भी बिगड़ेगी। अब उसकी सास को अपने कमरे में एक छोटा सा फ्रिज चाहिए था, उनका कहना था वह बार-बार किचन में नहीं जा सकती, और उनकी दवाएं फ्रीज में ही रखनी है, इसीलिए उन्होंने अपने बेटे से एक छोटा सा फ्रिज लेने के लिए कहा।
और जीजू इस बात को बताना भूल गए, और एक छोटा सा फ्रिज ले आए। अगर मेरी बहन को यह बात बुरी लगी थी तो उसको बोलना चाहिए था, कोई भी समान लाओ तो मुझे भी बता दो। फिर अगली बार से जीजू उनको बता देते। लेकिन वहां कुछ नहीं बोली।
ऐसी ही कई बार वहां अपने दोस्तों के साथ चले गए ,और अपनी मां को बता दिए मेरी दीदी को नहीं बताएं, वह बात भी उनको बुरी लगी। दरअसल उनकी सास हाल में ही रहती हैं और वह किचन में इसीलिए वह उनको बता देते थे।
जाहिर सी बात है यह बात हर किसी को बुरी लगेगी।
मैंने उसको अच्छी तरीके से समझाया कि वह इस तरह से बात को मन में दबाकर ना रखें, वह अपने हस्बैंड से बात करे कोई भी खर्च करने से पहले मुझे भी बता दीजिए ,या कहीं जाना हो तो मुझे भी एक बार बता दिया कीजिए।
ऐसी छोटी मोटी बात को मन में रखना और नाराज होने से कोई फायदा नहीं होने वाला ,इसमें घर की शांति भंग होगी।
मेरी बहन को यह बात सही लगी और उसने कहा ठीक है अब मैं बात करूंगी इस बारे में।
उसके दूसरे ही दिनों में दोनों का मेरे यहां आने का प्लान भी बन गया, अच्छी बात है कि मेरी बहन के हस्बैंड से मेरा बहुत पटता है, तोअकेले में मौका देख कर मैंने यह सब बातें उनसे भी कह दी।
मुझे डर लग रहा था कहीं वह बुरा ना मान जाए, क्योंकि यह बात दीदी को कहना चाहिए था। फिर भी मैंने कह दिया।
बहुत खुशमिजाज इंसान है, उन्होंने बुरा नहीं माना, और बोले तुम्हारी बहन पागल है। ऐसी बात थी तो वह मुझसे बोली क्यों नहीं। मैंने भी टांग खींचते हुए कहा मेरी बहन बोलेगी नहीं तो आप समझोगे भी नहीं।
यह सब आपको अपने आप करना चाहिए था।
वह हंसे और मुझसे सॉरी बोले, मैंने दीदी को बुलाया और कहा सॉरी मुझसे नहीं अपनी बीवी से बोलिए, जिनका अपने दिल दुखाया है।
तब जाकर दोनों के बीच की कोल्ड वार खत्म हुई, हा हा हा हम लोग भी ना कई बार बस अपने ख्यालों में ही मुश्किलें और परेशानियां पैदा करते हैं, जिनसे असल जिंदगी में कब असर पड़ने लगता है, यह पता भी नहीं चलता।
इसीलिए एक दूसरे से बातें करना अपने मन की बातें कहना अच्छा होता है।