बदलाव
बदलाव
शाम के वक़्त ऑफिस से निकलते समय रीमा सोच रही थी
, "फिर से भीड़ का हिस्सा बनना होगा बस में और वो लिजलिजा सा स्पर्श आज फिर उसे परेशान करेगा।"
इतने पैसे नहीं की वो रोज टैक्सी कर के घर जाए, माँ से शिकायत करने पर माँ कहती हैं
, "मामोनी रास्ता का धुल गन्दगी घर में आ के धो लो, नहा लो और भूल जाओ।"
पर आज रीमा ने सोच कर रखा है की धोना नहीं धो देना है। बस में चढ़ने के साथ ही जैसे की उम्मीद थी वो स्पर्श फिर उसके हाथों पर महसूस हुआ। उसने पलट कर देखा और कहा,
"दादा ज़रा हाथ हटा लीजिये।"
उस शख्स ने दांत दिखाते हुए कहा,
" क्या करेगा हम क्रिकेट खेलता था तो मेरा हाथ सुनता नहीं है"
और ठहाका लगाने लगा। अगले ही पल ठहाके के जगह उस शख्स की चीख़ गूंजी। और वो अपना घुटना पकड़ चिल्लाने लगा, " यह क्या बद्तमीज़ी है? लात क्यूँ मारा?"
रीमा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया,
"क्या करेगा दादा बचपन में हम फुटबॉल खेलता था मेरा पैर मेरा बात नहीं सुनता है।"
और मुस्कुराते हुए बस से उतर गयी।