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Palak Inde

Abstract

4.8  

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दूसरा प्यार

दूसरा प्यार

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दूसरा प्यार- ये शब्द सुनने में थोड़ा अटपटा लगेगा।हमारे यहाँ प्रेम विवाह को उस नज़रिए से नहीं देखा जाता, जो इज़्ज़त सुसंगत विवाह को मिलती है।तो कहानी शुरू करने से पहले 2 सवाल- क्या प्यार दोबारा हो सकता है ? और अगर किसी की ज़िंदगी में प्यार दस्तक दे...मगर देर से, तो उसका क्या अंजाम होगा ?

ये कहानी है जोत और रीत की।

रीत- एक 28 साल की लड़की, दो बेटियों की माँ, घर की बड़ी बेटी और तलाकशुदा।

जोत- एक 30 साल का ऐन.आर.आई. लड़का, अनाथ और तलाकशुदा।


कहानी की शुरुआत होती है रीत से 2012 में उसकी शादी हुई।शादी उसकी रज़ामंदी से ही हुई थी। जो शादी एक हसीन ख्वाब होती है, रीत ने उसे भयानक सपना महसूस किया। शादी के कुछ वक्त बाद ही उसने गर्भ धारण कर लिया था। उन्हीं दिनों उसके पति ने भी अपना असली रूप दिखाना शुरू कर दिया। जब ये बात रीत के माँ बाबा को पता चली तो उन्होंने रीत को तलाक के लिए कहा, मगर उसने इंकार कर दिया। रीत के घर बेटी पैदा हुई।उसने अगले साल फिर एक बेटी को जन्म दिया।बेटे की चाह में उसका पति हैवानियत पर उतर आया।उसका पति उससे बहुत बुरा सलूक करता। अय्याशियों पर उतर आया था।उसकी सास भी बेटे का ही साथ देती थी। मगर वह चुप रही- शायद बेटियों की वजह से। जैसे तैसे समय बीतने लगा था। देखते ही देखते आठ साल बीत गए।


रीत ने ये सब बातें अपने घर पर न बताई। उसे अपने दो फैसलों पर पछतावा हो रहा था- एक, उस इंसान से शादी करना, दूसरा वो तलाक की बात न मानना।हालात बद से बदतर हो रहे थे। एक बार अचानक उसकी तबियत खराब हो गई। कोरोना की वजह से कोई भी अस्पताल उसे भर्ती करने को तैयार नहीं हुआ।कई तरह के टेस्ट करवाने पर पता चला, बड़ी आँत में कुछ तकलीफ है। सबको लगा कि शायद अपेंडिक्स होगा। कुछ एक डेढ़ महीने की मशक्कत के बाद रीत का ऑपरेशन हुआ और उसकी जान बच गई।वो अस्पताल में ही थी कि उसके पति ने खुद अपने जुर्म कबूल कर लिए। उसने रीत को सोया हुआ समझा।

 दरअसल, जो रीत की ताबियत खराब हुई थी, वो ज़हर की वजह से हुई थी, जो उसके पति ने उसे दिया था। जितनी देर वह अस्पताल में थी, उसका पति किसी और को घर ले क्या था। रीत के सब्र का बाँध टूट गया। उसने खुद को और अपने पति को उस ज़बरदस्ती के रिश्ते से आज़ाद करने का फैसला किया। सब ने रीत का इस फैसले में साथ दिया। उसके पति ने दोनों बेटियाँ देने से इंकार कर दिया।


कुछ दो तीन महीने लगे, रीत को खुद को संभालने में।रीत की सोशल मीडिया के ज़रिए जोत से बात हुई।जोत ने जब उसकी तस्वीर को देख, तभी से दिल दे बैठा था। उसने रीत को पहले भी फ़ोन लगाया था...उन्हीं दिनों उसका फ़ोन खराब हो गया था।जोत ने दोबारा रीत तक पहुँच बनाई। और उसकी ये कोशिश कामयाब रही।

रीत और जोत की बात होने लगी। ज़िन्दगी के जिस मौड़ पर रीत थी, उसी मौड़ पर जोत भी खड़ा था।जोत की शादी उसके पापा के ही दोस्त की बेटी से हुई थी।एक कार हादसे के दौरान उसके माँ बाबा गुज़र गए।अभी जोत उस ज़ख्म से उभर भी नहीं सका था कि उसकी बीवी ने उसे एक और घाव दे डाला। उसके माँ बाबा को गुज़रे हुए अभी 34 दिन ही हुए थे कि उसकी बीवी ने उसे छोड़ दिया। उसने शादी भी इस मकसद से ही की थी कि वह विदेश में ही अपना घर बसाएगी। जोत की ज़िंदगी थम सी गई थी।


तब उसकी ज़िन्दगी में कदम रखा रीत ने। उसका हाल सुनने पर कहीं न कहीं रीत को अपना दुख कम लगने लगा।दोनों एक दूसरे के हमदर्द बने और फिर हमसफ़र बनने का फैसला किया। दोनों एक दूसरे से मिले नहीं थे, मगर प्यार तो हो गया था।वो प्यार ही क्या, जो ज़माने को कुबूल हो जाए।


सब ने उनके प्यार को एहसास से ज़्यादा मजबूरी समझा। सब ने अलग अलग तराज़ू पर उनके प्यार को तोला था।ज़्यादा मुश्किलें जोत को झेलनी पड़ी क्योंकि सब के सब उसकी नियत पर शक कर रहे थे- वजह थी उसका ऐन.आर.आई. होना। रीत के परिवार वाले बार बार सुनिश्चित कर रहे थे कि उनकी बेटी सुखी रहे। वो नहीं चाहते थे कि जोत उसका भरोसा तोड़े- वरना रीत टूट जाएगी, और इस बार ऐसा कि सम्भल भी नहीं पाएगी। और ऊपर से दूसरा ब्याह होने पर और भी सावधानी बरत रहे थे।

जोत और रीत के प्यार ने सभी इम्तिहान पास किए। रीत को तो अब भी अपनी किस्मत पर यकीन नहीं हो पा रहा था कि उसकी जिंदगी में प्यार ऐसे दस्तक देगा।उनको वो प्यार दूसरी शादी में मिला, जिसकी उम्मीद दोनों ने अपनी पहली शादी से की थी, और वो शादी उनके माँ बाबा की पसंद से हुई थी।


बहुत मुश्किलों का बाद दोनों का प्यार मुकम्मल हो सका। 



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