स्त्री
स्त्री
मां बेटे की,बेटी बाप की जान होती है,
स्त्री हर सुरत में महान होती है,
माँ के रूप में परवरिश
बहन बन कर सताती है
बेटी बन लक्ष्मी सी आती है
बहू बन कर पराई वो घर का हिस्सा हो जाती है,
हर घर कि आन बान और शान होती है,
स्त्री हर सुरत में महान होती है,
पहली दोस्त,पहली,शिक्षा पहला साथी
माँ ही असली भगवान होती है,
बिना किसी कक्षा की वो
सपुर्ण विश्व का ज्ञान होती है,
बच्चे का आसमां वहीं ब्रम्हाण्ड होती है,
स्त्री हर सुरत में महान होती है,
छोटी बहन सताती है
बड़ी डांट समझाती है
हँस कर जिना सिखाती है
मगर वो पराई हो जाती है
कुछ दिन तक मेहमान होती है
स्त्री हर सुरत में महान होती है,
सामान नहीं सम्मान होती है,
दुर्गा,काली साक्षात देवी समान होती है,
दहलीज की रक्षक घर का मान होती है,
धन से हो न हो मन से धनवान होती है
माँ बेटे की,बेटी बाप की जान होती है,
स्त्री हर सुरत में महान होती है,,,