चौकीदार
चौकीदार
जब भी चलती थी गोलियां
सैनिक जान गंवाते थे
जो इन गद्दारों के हमले से बच भी जाते
शान से सीना तानकर चलने वाले भारत के वीर शीश झुकाते थे
आतंकी किसे कहें सीना छलनी करने वालों को
या जवानों की मौत पर भी चुप्पी थामने वालों को
सरहद की ख़ातिर हर हद से गुजरने वालों को सीमा में बांध दिया
खुद सीमा पार जाकर दोस्ती का हाथ बढ़ाते हैं
ये देख खून खौलता हर चौकीदार का
लेकिन बंधे थे हाथ यही सोचकर शोक मनाते थे
हाथ खोल दिए मोदी जी ने जवानों के
तो दुश्मनों को घर में घुस कर मारे थे
एक शीश के बदले 10 शीश धड़ से अलग कर डाले थे
औकात नहीं आज दुश्मनों की
कि आंख हमें दिखाए
इतना पता तो सबको चल गया
तैनात वहां रक्षा में चौकीदार आम नहीं
भारत माँ का सच्चा वीर है।