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प्रकृति

प्रकृति

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ईश्वर की बनाई यह प्रकृति है

कितनी अनमोल

नहीं है इसका कोई मोल

यह मंद-मंद मस्त बहती पवन

यह परिंदों का खुले

आसमान में यूँ कलरव करना,

सारे जहाँ से बेख़बर

बेसूध अपनी मस्ती में उड़ना

नित नयी अठखेलियाँ करना

कभी झुंड में तो कभी

अकेले ही उड़ान भरना

छोटी -छोटी रंग-बिरंगी मनमोहक

चिड़ियों का ची-ची करना,

चील का अकेले ही

आसमान में सबसे अलग

सबसे उँचा उड़ना

जिंदगी में सदा ही उँचा उदेश्य रखना

मानव जाती को यह संदेश पहुँचाना

पक्षियों का तिनका -तिनका

समेट कर घोंसला बनाना,

छोटे-छोटे चूज़ों को दाना खिलाना

फिर समय आने पर इस दुनिया को समझने

सीखने के लिए उनको उड़ा देना,

पेड़ पौधों का फल फूल को हवा देना

छोटी सी चींटी की अथक मेहनत

कन-कन एकत्र करती, चलती ही जाती

ऐसे ही अपनी मंज़िल तक पहुँच जाती,

यह सूरज चाँद सितारे लगते है कितने प्यारे

आँखो को भाते, दिल को छू जाते हैं

यह दिलकश नज़ारे

यह सब खूबसूरत नज़ारे

मन-मंदिर में उजाला कर जाते

भगवान हरदम हमारे आस -पास ही रहते

ऐसा संदेश दे जाते

प्रभु की आराधना करते हुए

हम सब मिल-जुल कर बोलें,

मीठे बोल

ईश्वर की बनाई हुई प्रकृति है

कितनी अनमोल !


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