नन्ही चिड़िया
नन्ही चिड़िया
तिनका-तिनका समेटती यह नन्ही सी चिड़िया,
अपनी छोटी-सी चोंच में बटोर लाती,
गिरती,फिसलती फिर झटपट संभलती,
अपनी ही धुन में मस्त, बच्चों की खातिर,
बहुत दूर से इकठ्ठा करके लाती,
ना ही सर्दी, गर्मी,बरसात की परवाह करती,
तिनका-तिनका समेटती यह नन्ही सी चिड़िया।
इक पल भी आराम ना करती,
मुश्किलों से तनिक भी ना घबराती,
बाज,कौअे से घोंसले की रक्षा करती,
मधुर- मधुर गीत गाती,
मन को भाती यह रंग-बिरंगी चिड़िया,
पेड़-पौधों पर इधर-उधर बैठती इठलाती,
चील की ऊँची उड़ान को देखकर भी मलाल ना करती,
मस्ती करती ,ज़िंदगी के गीत गाती,
हस्ती खिलखिलाती अपनी ही धुन में उड़ती जाती,
तिनका-तिनका समेटती यह नन्ही सी चिड़िया।
काश कि मैं भी एक चडिया बन जाती,
एक बार गगन की सीमा को नाप लेती,
अपनी उंगलियों से रूई के गोलों से सफेद बादलों को जो छू लेती,
मैं भी मधुर गीत गाती, मग्न रहती,
तिनका-तिनका समेटती यह नन्ही सी चिड़िया।
