फिर मुस्कुराना है
फिर मुस्कुराना है
कुछ देर बैठा भीड़ से दूर,
आँखें तेरी नम हुई तो किसीको न दिखी,
दुखड़ा बताने का हक़ तुझे नहीं
तो बस वापस आजा, नया सूर बना
आज फिर तुझे गीत गाना है |
चुप के से रोने को दिल तेरा चाहे
झूठे रिश्ते तोड़ तू राहत पाना चाहे,
पर इस जनम ये हक़ तुझे नहीं
तो बस आंसू पोंछ, सिख हंसना
आज फिर तुझे मुस्कुराना है |