नैनों से नैना मिले ,गई ह्रदय मैं हार।
मन लगता अब ना कहीं ,जीना है दुश्वार।।
नैना नैनों से मिलें, दिल का लूटे चैन
करने को दीदार तब, हो जाते बेचैन
दो नैनों से दो मिले, मिल होते हैं चार
लेकिन चाहत के बिना, कैसे मुमकिन प्यार ।।
तेज कटारी नैन की ,चली ह्रदय के पार।
पढ़ लेते हैं नैन जो ,कहलाते दिलदार ।।
पहरा तेरे प्यार का ,हटा तो रूठे नैन
नैनों से मोती गिरे ,ह्रदय हुआ बेचैन ।।
नैना नीचे जो झुकें,लुटते ह्रदय विशाल
झुक कर नैना जो उठें, कर दें मालामाल ।।
नैना झुक कर जो उठे, रुकते सबके श्वास
उठकर नैना जो झुके, दें मिलने की आस ।।
नैनों की गुस्ताखियाँ ,तेरी करती वार
हाल ह्रदय का जान लो, मर जायेंगे यार ।।
नैनों से होता शुरू ,पहुंचे दिल के पार
नैना बरसें रात दिन, जो ना हो दीदार
नैनों की पलकों तले ,मिल जाती जो छाँव
ह्रदय ख़ुशी से झूमता, टिकते ना हैं पाँव
नैनों से नैना मिलें, हरें विरह की पीर
पलकें पलकों से मिलें, बहता केवल नीर।।
नैनों की भाषा सदा ,कह दे सब चुपचाप
नैनों के इस खेल को ,क्या समझोगे आप